भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बीकानेर-1 / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:29, 25 मार्च 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हवेलियों की नगरी है बीकानेर
बीकानेर है तो हवेलियां हैं
हवेलियां है तो बीकानेर है
बीकानेर में हवेलियां हैं
हवेलियों में वैभव
वैभव में दीप्त स्मृतियां
हवेलियों का अंतरंग हवेलियों में कैद है
हवेलियों को कपाटों के खुलने का इंतजार है
हवेलियों की आंखों में टिमटिमाता है आस का दिया
आहिस्ता-आहिस्ता मद्धिम
अच्छवास छोड़ती है
बीकानेर की हवेलियां