भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रिश्ते की खोज / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:40, 22 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना |संग्रह= }} मैंने तुम्हारे दुख स...)
मैंने तुम्हारे दुख से अपने को जोड़ा
और -
और अकेला हो गया ।
मैंने तुम्हारे सुख से
अपने को जोड़ा
और -
और छोटा हो गया ।
मैंने सुख-दुख से परे
अपने को तुम से जोड़ा
और -
और अर्थहीन हो गया ।