भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रास्ता / वंशी माहेश्वरी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:28, 23 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वंशी माहेश्वरी |संग्रह=आवाज़ इतनी पहचानी कि लगी अपनी / ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मृत्यु की
आने जाने की
पैतृक परंपरा को
नहीं जानते

नहीं जानते
आने- जाने के बीच
जो रास्ता छूट गया है
वह उसकी स्मृतियों का
जीवित इतिहास है
या
प्रायश्चित का बीजमन्त्र।