भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बर्फ़ की दीवारें हैं / संजय कुमार शांडिल्य

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:39, 15 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय कुमार शांडिल्य |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बर्फ़ की दीवारें हैं
बर्फ़ जमी हुई ईंटें

बर्फ़ की खिड़कियाँ
बर्फ़ के किवाड़

मौसम कोई भी हो
कुछ भी पसीजता नहीं

ध्रुवों सा ठोस
बर्फ़ एक घर है

जहाँ ठण्डे लोग
रहते हैं।