भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हवा आधी है / शुभा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:57, 29 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हवा आधी है
आग आधी है
पानी आधा है
दुनिया आधी है
आधा-आधा नहीं
बीच से टूटा है
यह संसार
बीच से टूटा है।