भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारी छुअन / मिंग दी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:27, 30 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मिंग दी |अनुवादक=अनिल जनविजय |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे
हाथों ने
मुझे नहीं बनाया

लेकिन
यह सच है कि
तुमने
मेरा रोंआ-रोंआ छुआ।