भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार / मिंग दी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:30, 30 मई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मिंग दी |अनुवादक=अनिल जनविजय |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
उनका कहना है
जब कोई तुम्हें
प्यार करता है
और पुकारता है
तुम्हारा नाम
तो उस पुकार की धुन
अलग होती है
एक ऐसे गीत की तरह
जिसे
तुम्हारा दिल ही
सुन पाता है
और तुम्हारी आत्मा ही
उस धुन को पहचानती है।