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जब दुख में अबला रोती है / देवी नांगरानी
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जब दुख में अबला रोती है
क्यों खून की बारिश होती है।
उड़ जाती हैं नींदें रातों की
क़िस्मत जब मेरी सोती है।
बेचैनी देख के रातों की
करवट करवट क्यों रोती है।
ख़ुद के कांधों पर बोझ लिये
क्यों नारी चिता पर सोती है।
है दुख के साहिल पर कश्ती
फिर दर्द नया क्यों ढोती है।
जब डूब चुका है दिल ‘देवी’
साहिल को तू क्यों रोती है।