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मशाल का बेटा धुआँ / केदारनाथ अग्रवाल

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मशाल का बेटा धुआँ,

गर्व से गगन में गया,

शून्य में खोया

कोई नहीं रोया ।

मशाल की बेटी आग

यहीं धरती पर रही,

चूल्हे में आई

नसों में समाई ।