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खिला है अग्निम प्रकाश / केदारनाथ अग्रवाल

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खिला है अग्निम प्रकाश

संध्याकाश में;

कमलबन की तरह नयनाभिराम,

प्रवाल-पँखुरियों के सम्पुट खोले,

क्षण पर क्षण

बिम्बित-प्रतिबिम्बित होता,

दिगम्बरी दिशाओं के दर्पण में ।