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भोजन / स्वप्निल श्रीवास्तव
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चौके में कुछ भी न बचे
स्त्रियाँ बचा कर रखती हैं
नमक
वे हमारे जीवन के सबसे ज़रूरी
स्वाद के बारे में बेहतर
जानती हैं
उनकी आँखों में लहराता है,
खारा समन्दर
जहाँ से वे इकट्ठा करती हैं
नमक
यही नमक हमारी धमनियों में
रक्त बन कर दौड़ता है
भोजन का स्वाद फीका होने लगे
तो यह जान लेना चाहिए कि
समुन्दर में गिरने वाली
नदियों की निष्ठा सन्दिग्ध
हो रही है,
चालाक मछुआरे मछलियों
की जगह नमक की
चोरबाज़ारी कर रहे हैं
चौके में आने वाला है कोई
संकट
कुछ लोग भूखे उठ जाने
वाले हैं
बच्चों की आँख में बढ़
गई है भूख
जैसे स्त्रियाँ बचाकर रखती
हैं नमक
वैसे हमे बचाकर रखना
चाहिए साहस
और बच्चों को समुन्दर
के साथ ज़िन्दगी के बारे में
तफसील से बताना चाहिए