भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुल्लू का कम्प्यूटर / प्रदीप शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:40, 14 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप शुक्ल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गुल्लू का कम्प्यूटर आया
पूरा गाँव देख मुस्काया
दादी के चेहरे पर लाली
ले आई पूजा की थाली
गुल्लू सबको बता रहा है
लाईट कनेक्शन सता रहा है
माउस उठा कर छुटकू भागा
अभी-अभी था नींद से जागा
अंकल ने सब तार लगाए
गुल्लू को कुछ समझ न आए
कम्प्यूटर तो हो गया चालू
न ! स्क्रीन छुओ मत शालू
जिसे खोजना हो अब तुमको
गूगल में डालो तुम उसको
कक्का कहें चबाकर लईय्या
मेरी भैंस खोज दो भैय्या
बड़े ज़ोर का लगा ठहाका
खिसियाए से बैठे काका !!