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घोटाला ही घोटाला छै / महादेव ठाकुर
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घोटाला ही घोटाला छै
मतुर मुहोॅ पर बस ताला छै
प्यार-मोहब्बत आम बात छै
घरोॅ-घरोॅ मेॅ दिलवाला छै
वहीं वसूली करी रहल छै
जे जनता के रखवाला छै
प्यार,भरोसा,सच्चाई पर
टिकलोॅ जीवन के माला छै
'महादेव' सच बाँचोॅ सगरो
सबके जीहोॅ मेॅ छाला छै