भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बरतन सबटा खाली छै / महादेव ठाकुर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:44, 14 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महादेव ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=सच...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बरतन सबटा खाली छै
नेता कहै दिवाली छै
नेता कहै दिवाली छै
सगरो तेॅ हरियाली छै
सगरो तेॅ हरियाली छै
भरलोॅ सबके थाली छै
भरलोॅ सबके थाली छै
झूठोॅ के कव्वाली छै
झूठोॅ के कव्वाली छै
तब नेॅ बरतन खाली छै