कुण्डलियाँ / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
रामधारी केॅ जानियै पड़रिया आवास
शंभुगंज बाँका जिला, डिग्री एम. एड. पास ।
डिग्री एम. एड. पास फटाफट अंगिका बोलै
धरम-करम के राज नुकैलोॅ जेकरा खोलै
‘प्रोग्रामर’ के हाथ-गोड़ में लागलै बाघी
सोचै छै हिनकोॅ विचार केॅ जागी-जागी ।
भाव-प्रसून, गगन घटा छपै-बटै सन पाँच
आतम में परमातम कथा मधुरिका साँच
कथा मधुरिका साँच । साँच केॅ आँच नै आवै
हायकु सें हर अंग प्रेमी के छटा सजावै
कहै गॅवार कि कवि ‘प्रोग्रामर’ भारी-भरकम
हिन्दी के साथें लहरैतै अंगिका परचम ।
सद्गुरू श्री सत्पाल जी, भक्त श्रद्धा के फूल
मानवता रग-रग भरल, सेवा ही बस मूल
सेवा ही बस मूल बड़ा दिलदार हृदय के
मन में नै छोॅ-पाँच लागै डोॅर मुदय के
सत्य बात केॅ सात तरह सें बोलै बाजै
गुरू के कृपा सें जहाँ भी जाय विराजै ।