तखनी ई होय छै / बहादुर मिश्र
सुननें छियै, देखलौ छियै
जे दर-दर मरलोॅ फिरै छै
गली-कुच्ची; खेत-खलिहान
हिन्नें-हुन्नें, जन्नें-तन्नें
मारलोॅ फिरै छै
ऊहे आवारा लावारिस
पगलैलोॅ कुत्ता
छेड़तें रहै छै
ओकरा, जे आपनोॅ राह
आप चलतें रहै छै
मतर हैरत तेॅ तबेॅ होय छै
जबेॅ एयर कंडीशंड मकान के
चकमक चहारदीवारी
के भीतर
एम्पोर्टेड सोफासेट पर
हराम के नींद लेतें रहै छै
सोना के थाली-प्याली में
मुफ्त के माल उड़ावै छै
अम्पाला कार के
ओरी में बैठी केॅ
दिन-दहाड़े स्वर्ग के सैर करै छै
ऊहे वेल ट्रेन्ड
वेल एजुकेटेड
वेल सिविलाइज्ड
एलसिसियन डाॅग
आपनोॅ नुकीला दाँत
आसानी सें गड़ैतें रहै छै
मासूम जिस्म के पोर-पोर में
जानलेवा जहर घोरतें रहै छै
ओकरा जे इन्जेक्शन
आरू मलहम लेली
दोसरा के मुँहताज रहै छै
कहै छै, ओकरा पर
हायड्रोफोबिया के दौरा
शुरू होय जाय छै
नतीजतन ऊहौ भूँकै छै
रगैदै छै, छेड़ै छै
आरू आपनोॅ जहरीला दाँत
गड़ाय दै छै
तबेॅ ऊ चीखै छै, चिल्लावै छै
चिहुँकै छै आरो कहै छै
हमरा छोड़ी दा, तोरोॅ गोड़ पड़ौं ।