भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बना रे बागां में झुला घाल्या / राजस्थानी

Kavita Kosh से
Adiya (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 03:23, 29 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: बना रे बागां में झुला घाल्या म्हारे हिवडे री, म्हारे जिवड़े री, म्हारे म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बना रे बागां में झुला घाल्या

म्हारे हिवडे री, म्हारे जिवड़े री, म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छैल भंवरसा

म्हारे मन डे री कोयल बोले झुला छेल भंवरसा


गोरी ऐ बागां में झुला घाल्या

म्हारे हिवडे रो , म्हारे जिवड़े रो , म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा

म्हारे मनडे रो मोरियो नाचे झुला जान कंवरसा


बना रे फागण री रुत आई

मैं लुक छिप, मैं छुप छुप, मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा

मैं छाने छाने आई , म्हारा छैल भंवरसा


गोरी ऐ रंग गुलाबी थारो

थारे नैणा सूं, थारे गालां सूं , थारे होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा

थारा होठा सूं रंग मन म्हारो म्हारी जान कंवरसा


बना रे रंग में रंग रळ जावे

जद मनडे सूं, जद तनडे सूं, जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा

जद मन डे सूं मन मिल जावे म्हारा छैल भंवरसा


गोरी ऐ प्रीत री डोर न टूटे

इण जनम ने, ऊण जनम ने, सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा

सौ जनम में साथ न छूटे म्हारा छैल भंवरसा

सौ जनम में साथ न छूटे म्हारी जान कंवरसा