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ठीक छै / पतझड़ खैराबादी

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रस्ता में एक दोस्त मिललै
पूछलकै-
‘की हाल-चाल पतझड़ ?’
कहलियै, ‘ठिक्के छै ।’
जबेॅ भी कोय कहीं मिलै छै
फट सें वहेॅ पूछी बैठै छै-
‘की हाल-चाल ?’
है प्रश्न बड़ी अजीबो-गरीब छै
एकरोॅ उत्तरो यहेॅ छै कि ‘ठीक छै ।’
चाहे लाख दुःख रहेॅ
दिल दर्दोॅ सें चूर-चूर रहेॅ
तैयो मुस्काय केॅ कहै लेॅ पड़ै छै-
‘भाय जी, ठीक छै ।’
कहिया जे आदमी सें
आदमी के लगाव होतै
ऐन्हें जीतेॅ रहतै, ऐन्हें मरतेॅ रहतै
आरू जबेॅ भी कोय काँही मिलतै
यहेॅ पूछतेॅ रहतै-
‘की हाल छै ?’
आरू जवाबोॅ में यहेॅ कहतें रहतै
‘सब ठीक छै ।’