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आसिरवाद / वचनदेव कुमार

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हमरोॅ छोटोॅ रङ झोली में
भरी दै छोॅ ढेर-ढेर आसिरवाद
से हम्में ढूअेॅ नै पारै छी,
हे उदार,

बुतरु बच्चा सीखै छै पढ़ाय के स्वांङ
मिनिसपैलटी के खैराती चटसारी में,
इस्त्राी बड़ी देर-देर तलक अस्पतालोॅ में
करै छै ललछौंहोॅ बोतल के इन्तिजार,
खुदे बाजिदअलीसाही बूट जुटाय में नचार
कविता के ढेर-ढेर चिरकुट सें पाकिट भरपूर

कखनू मटमैलोॅ सरंङ
कखनू साहब के झबरा कुत्ता निहारी केॅ
बेबस बेकल मोॅन भनभनाय उठै छै,
समेटी लेॅ आपनोॅ कृपा के डोर
हम्में एकरा में नै बन्हबोॅ हे हमरोॅ सरकार ।