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अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ / ज्ञान प्रकाश विवेक

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हाथ में लेकर खड़ा है बर्फ़ की वो सिल्लियाँ

धूप की बस्ती में उसकी हैं यही उपलब्धियाँ


आसमा की झोपड़ी में एक बूढ़ा माहताब

पढ़ रहा होगा अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ


फूल ने तितली से इकदिन बात की थी प्यारकी

मालियों ने नोंच दीं उस फूल की सब पत्तियाँ


मैं अंगूठी भेंट में जिस शख्स को देने गया

उसके हाथों की सभी टूटी हुई थी उँगलियाँ