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शब्दों का जाल / शहनाज़ इमरानी

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शब्द छोटे-बड़े
शब्द हलके वज़नदार
शब्द कड़वे, मीठे, तीखे
शब्द दुश्मन शब्द ही दोस्त
शब्द बोलते अन्दर और बाहर
शब्द उलझ जाते बातों में
शब्द बहे जाते भावनाओं में
शब्द फँस जाते मोह-माया में
शब्द जल जाते है नफ़रतों में
शब्द भाषण की आग बनते है
शब्द राजनीति की शतरंज बनते है
शब्द फटते बम की तरह
शब्द सवाल खड़े करते
शब्द जवाब बन जाते
शब्द सूरज में धूप बने
शब्द अन्धेरों में मशालों से जले
शब्द गोल रोटी में बेले गए
शब्द बुझे चूल्हे की राख़ बने
शब्द स्त्री की पीड़ा में उतरे
शब्द पुरुष का अहम् बने
शब्द ज़ंजीरों में क़ैद हुए
शब्द गुलाम बने
शब्द बने बँटवारा
शब्द बने ज़ख़्म
शब्द बने जंग
शब्द बने क्रान्ति
कुछ शब्द गुम हुए
कुछ नए आए
शब्द बच्चे की मुस्कान बने
शब्द लड़की की खिलखिलाहट बने
शब्द खिलते हैं फूलों की तरह
शब्द उड़ते है तितलियों की तरह
शब्द मौसम में बाद जाते है
शब्द इन्द्रधनुष बनाते है
शब्द उगते है प्यार की तरह।