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खुट्टा अगोरनी माय-बाप चोरनी / अमरेन्द्र

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खुट्टा अगोरनी माय-बाप चोरनी
गाँवोॅ में खाली येॅ आगे लगाय छै
एकोॅ केॅ दोसरा सेॅ खाली लड़ाय छै
हेकरा सेॅ केकरो नै कहियो भलाय छै
सुसुरमुँही हेनोॅॅ जेहनोॅ की माय छै
सतरंगी पिहनी केॅॅ बनतौं की मोरनी
खुट्टा अगोरनी माय-बाप चोरनी ।

सब के घरोॅॅ में जाय कनसुवोॅ लेथौं
ओकरा में थोड़ोॅ मिलाय केॅ बतैथौं
ऐतौं मुंझौसी तेॅ जल्दी नै जैथौं
सब्भे घरोॅ के यें खिस्सा उठैथौं
फाटतौं की सब्भै मेॅ ई चुगलखोरनी
खुट्टा अगोरनी माय-बाप चोरनी।

मरदोॅ सेॅ बात की ठस-ठस सरपट्टा
आपनोॅ पुरुषोॅ के नामोॅ पर बट्टा
देखै में होनै छै चूलो नै छट्टा
मौसरी के दाली में इमली के खट्टा
कुलोॅ में होलोॅ छै ठिक्के कुलबोरनी
खुट्टा अगोरनी माय-बाप चोरनी ।।