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कहला सेॅ, छक सेॅ लागथौं / अमरेन्द्र

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कहबौ तोहरा, तेॅ करेजा में जाय छक सेॅ लागथौ
रोज-रोज के एक्के खिस्सा देखै छियौ कब सेॅ
की बोलै छौ गाँव भरी, तोहें सुनें जाय केॅ सब सेॅ
घोल्टी-पलटी-बिरना के संग मेॅ पंडित के पूत
औघड़ हेनोॅ घुरतें रहै छै लेॅ केॅ आपनोॅ दूत
घर सेॅ तोहें चल्ली देबैं, होतौ जेहनै भोर
बैजू के टटिया के पीछू की चीलम के जोर
कहबौ तोहरा, तेॅ करेजा में जाय छक सें लागथौं ।

बंसबिट्टी में सांझ-सबेरे कथी लेॅ तोहें जाय छंै
ई छुछ्छोॅ साँढ़ोॅ रं देह पर कथी लेॅ अगराय छैं
केकरो बहू-बेटी रहेॅ तोहरोॅ आँख जरै छौ
मेथिया केॅ कहिनें रोकै छैं , तोहरोॅ की वें करै छौ
कातिक के कुत्ता रं घूमें, की रहलौ तोहरोॅ पानी
की समझै छैं, तोहरे एकटा लागलोॅ छौ ई जुवानी
कहबौ तोहरा, तेॅ करेजा में जाय छक सें लागथौं।

कहिने दस ठो छौड़ा के संग तोंय गुरु केॅ डाँटलैं
हुनकोॅ सामनैं खैनी खाय केॅ आपनोॅ फुटानी छाँटलैं
बापोॅ के पैसा खाय-खाय केॅ देह दिखाबै छैं की
लुच्चा कट ई जुल्फी बढ़ाय केॅ तेल चुआबै छैं की
दस रंग के कपड़ा पिहनी केॅ तोहें की छाँटै छैं
मरलोॅ लोगोॅ के सामना में आपनोॅ रंग गाठै छंै
कहबौ तोहरा, तेॅ करेजा मेॅ जाय छक सेॅ लागथौं ।

पोलटिस तेॅ जानै छैं कुछ नै, पोलटिस बतियाबै छंै
बड़का लीडर हेनोॅ आपनोॅ कुल्होॅ मटकाबै छैं
जे भी जानै छै तोहें, सब जानै छैं अधकचरोॅ
अधकचरोॅ सब जानलोॅ-सुनलोॅ होय छै बड्डी बातरोॅ
खादी केॅ पिन्हला सेॅ कोय भी नेता बनलोॅ छै की
बोतू या बकरी सेॅ काहूँ खेत जोतलोॅ छै की
कहबौ तोहरा, तेॅ करेजा में जाय छक सेॅ लागथौं ।