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ऐ देश तोरा सें की कहियौं/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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ऐ देश तोरां सें की कहियौं कतना हमरा प्यार छै,
आजाद देखौं रे सोनमा तोराअतना टा इकरार छै ।

हिन्दू, मुस्लिम, सिक्खोॅ के निकलै एक्केॅ बोली ।
वाहे गुरु, अकबर, अली, या बजरंग बली ।
गली-गली, चैराहा सें, निकलै बांन्ही टोली ।
मित्र भाव सें मिलै वाला केॅ, देबै गुलाल मली ।
आय बताना छै हमरा, कहाँ कोनो तकरार छै ।
ऐ देश तोरा सें की कहियौं, कतना हमरा प्यार छै ।।

मरियम, सलमा या सुलतान कहोॅ, सुखबीर, कहोॅ या सीता,
गुरु ग्रंथ कहोॅ, कुरान कहोॅ, बाइबिल कहोॅ या गीता ।
भेद कहाँ तनियो केकरौं में, सबके एक्के सार छै,
ऐ देश तोरा सें की कहियौं, कतना हमरा प्यार छै ।।