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निरन्तरता ही संसार को बचाएगी / संजय चतुर्वेद

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छियासी चिन्तकों ने सामूहिक आत्महत्या की
छियासी कलावन्तों ने

डायनोसॉर संघर्ष करके तैयार हुए थे श्रेष्ठ
डायनोसॉर नष्ट हो गए
वह सिर्फ़ एक आकाशीय दुर्घटना थी
या और कोई समझ में आ सकने वाली बात
इतिहास भरा पड़ा था दिग्गजों के इतिहास से
जो नहीं बदल पाए अपने आपको
चूहे निकल गए उनके ऊपर से
दीमकें निकल गईं
चींटियों ने लम्बी यात्राएँ कीं
हालाँकि पर निकलते ही भागे चमक की तरफ़
पर कीड़े नष्ट नहीं हुए

छियासी डॉल्फ़िनों ने सामूहिक आत्महत्या की
छियासी सिंह छियासी बाघ छियासी हाथी
खड़े हैं अपने वज़नी दिमाग़ों के साथ
अपने हिस्से की आख़िरी ज़मीन पर
छियासी श्रेष्ठ दर्शन छियासी श्रेष्ठ विचार
पलट भी सकते हैं गतियों को
हो सकता है डायनोसॉर नष्ट नहीं हुए हों
हो सकता है वे चिड़िया बनके उड़ गए हों आसमान में
भर के अपनी हड्डियों में हवा
हो सकता है जो नीलकण्ठ बैठा है टेलीफ़ोन के तार पर
उसका जीवन हो सामूहिक निरन्तरता की सनद

जुलाहे ख़तरे में हैं
कुम्हार और लुहार लड़ रहे हैं अपनी आख़िरी लड़ाई
किसान का लड़का नहीं बनना चाहता किसान
और बाज़ार में आया है पैप्सी
छियासी हज़ार श्रेष्ठ कामगार
निराशोन्माद में कर सकते हैं सामूहिक आत्महत्या
छियासी हज़ार श्रेष्ठ कामगारों को लग सकते हैं पंख
छियासी लाख लोग उड़ सकते हैं बाज़ार पर
छियासी करोड़ आंखें देख सकती हैं
लड़ाई श्रेष्ठता की नहीं निरन्तरता की है
उड़ान की निरन्तरता ही संसार को बचाएगी ।

1992