भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खटखटाहट / विमल गुरुङ

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:56, 26 जुलाई 2016 का अवतरण (' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विमल गुरुङ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ग्यास च्याम्बरीय बिबशताको अस्तित्वलाई
छडको
उत्तरीय
चकलेटी
झ्याल खट्खटाउँदै,
अनवरत
अबिरल
सर्वाङ्ग, निरस रातमा ।