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लागे झलमल घाम / युद्धप्रसाद मिश्र

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बल्ल दबेको वर्ग हृदयमा
लागे झलमल घाम
हलो कोदालो हँसिया चम्के
जागे कृषक तमाम
ध्वस्त गर्राई दिने उठ्यो प्रण
शोषकहरूका छलछाम
झुपडीहरूका महासंघ भो
गर्न घोर संग्राम
लुटपाटको प्रजातन्त्रको
मेटाइदिन नाम
तोडी दिन छन् दुनियाँ सारा
पूँजीवाद लगाम
पीडकहरू छन् देश लुटेका
जोगाउन धन धाम
पीडित चाहिँ भन्दछ केवल
झुपडी-कपडा-माम
रगत चुसेको बदला लिन भनि
लागे जनता लाम
बल्ल दबेको वर्ग हृदयमा
लागे झलमल घाम