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मुनियाँ रोॅ माय / श्रीकेशव

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मुनियाँ रोॅ माय/कोयला बीनै छै
पीठी पेॅ मुनियाँ केॅ लादनें
फाटलोॅ-पुरानोॅ, चित्थी-चित्थी
अँचरा केॅ देखै छै
अँचरा तेॅ छै
मजकि दूधे नै
बिन पानी के/जिनगी केॅ गुनै छै
मुनियाँ रोॅ माय कोयला बीनै छै
जरलोॅ-अधजरलोॅ
रेल के पटरी पर/जे एक दूसरा रोॅ/बराबर दौड़ै छै
जेना/ऊ आरो ओकरोॅ जिनगी !
बीनै छै/सोचै छै
आखिर ऊ की छेकै ?
कोयला आकि राख ?
औंगरी पर जिनगी के दिन गिनै छै
मुनियाँ रोॅ माय कोयला बीनै छै
पीठी पर मुनियाँ केेॅ लादनें ।