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चलोॅ चम्पा देश /रवीन्द्र चन्द्र घोष

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चलोॅ हमरोॅ चम्पा देश
वहाँकरोॅ विषहरी दरशन
वहाँ पूजा करोॅ, वहाँ पाठो करोॅ
करोॅ सार्थक आपनोॅ जीवन
जे विषहरी घरें-घरें घूमै
घूमै छै आपनोॅ देश
चलोॅ आपनोॅ चम्पा देश ।

जहाँ रोज विषहरी घर-घर घूमै
रोज करै फुफकार
अहो भाय चलोॅ आपनोॅ चम्पा देश
जहाँ भव्य मंदिर में पूजा होय छै
खजबज वैमेॅ साँप करै छै
अहो भाय चलोॅ आपनोॅ चम्पा देश ।
 
जहाँ चैत महिना में पंचमी के दिन
अछिनोॅ वस्त्रा पीन्ही केॅ वै दिन
टिक्की-सुरका पीन्ही केॅ वै दिन
फन काढ़लोॅ नागोॅ केॅ पीन्हवै सिन्दूर
अहो भाय चलोॅ आपनोॅ चम्पा देश ।