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गांधीजी के तीन बंदर / राजेन्द्र पंजियार

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गांधीजी नें आपनोॅ तीन बंदर केॅ गुरू बनैलकै
तेॅ एकरा में की हरज ?
मुनि दत्तात्रोय नें आपनोॅ चैबीस गुरू में
कुत्तौ केॅ एक गुरू माननें छेलै ।
मतर तैहियो मनोॅ में ई बात कुलबुलावै छै
कि गांधीजी केॅ
बुरा नै देखैवाला, बुरा नै बोलैवाला
बुरा नै सुनैवाला आदमी, कहीं मिलवे नै करलै
जे हुनी तीन बन्दर केॅ
आपनोॅ आदर्शो लेली चुनाव करलकै ?
लगै छै गांधी केॅ लोग नै मिललोॅ होतै
ऐन्होॅ बात नै
मतर बुरा नै बोलैवाला बुरा सुनावेॅ लागलोॅ होतै
बुरा नै सुनैवाला बुरा सुनेॅ लागलोॅ होतै
आरो बुरा नै देखैवाला बुरा देखेॅ लागलोॅ होतै
तेॅ समस्या विकट होय जाना
कोनो अचरज के बात नै
आखिर ऐन्होॅ लोगोॅ केॅ हुनी केना आपनोॅ आदर्श बनाय लेतियै
गांधीजी रोॅ मजबूरी पर ठहरी केॅ विचार करै में
संकोच नै होना चाहियोॅ
कि आदमी केॅ आदमी कहलावै लेली
अभी बहुत मंजिल तय करना बाकी छै ।