पनघट पै मुरलिया बाजे, अ हा हा हा पन घट पै मुरलिया बाजे।
मोहन के मुख बाँस की पोरी साँच कहूँ बहु साजे।। पनघट पै...
एक ओर जमुना लहराए, दूजे मोर बन शोर मचाए।
बीच में श्याम विराजे । पनघट पै...
टेर सुनी बिजली मुस्काई, घन में घोर घटा है छाई।
घाट पार कोई खड़ी पुकारे, मन के बादल गाजे।। पनघट पै...