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हम छोड़ चले हैं महफ़िल को / इंदीवर

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मैं पंछी आज़ाद मेरा कहीं दूर ठिकाना रे।

इस दुनिया के बाग़ में मेरा आना-जाना रे।।

जीवन के प्रभात में आऊँ, साँझ भये तो मैं उड़ जाऊँ।
बंधन में जो मुझ को बांधे, वो दीवाना रे।। मैं पंछी...
दिल में किसी की याद जब आए, आँखों में मस्ती लहराए।
जनम-जनम का मेरा किसी से प्यार पुराना रे।। मैं पंछी...