भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अर्चना / नवीन निकुंज
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:14, 12 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन निकुंज |अनुवादक= |संग्रह=जरि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
श्रद्धा रोॅ दू फूल समर्पित
आँखी में लेलेॅ अभिलाषा
झुकलोॅ छै माथोॅ ई हमरोॅ
पद-रज पावै के छै आस ।
जे कुछुवो लिखलेॅ छी हम्में
सब तोहरे ही छाया ई
जे कुछ देखलौं, जानलौं, सुनलौं
तोहरे सबटा माया ई
राखियोॅ हरदम हमरा पास ।
देवी तोरे गोदी में
माथोॅ राखी ई जानलेॅ छी
सन्तोॅ के भारत ई भूमि
स्वर्ग जकां ही मानलेॅ छी
फेनू कोॅन हाथोॅ सेॅ हम्में
भाव करौं अर्पण तोरा
ई भाव-जगत, जीवन तोहरे
तोहरे देलोॅ समर्पण तोरा
तोहरे गुण गावेॅ ई साँस ।