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नयकी बहुरिया / नवीन निकुंज

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सोचै छै नयकी बहुरिया
हाथेॅ के मेंहदी देखी
जों बाबू रोॅ देह
नै छिलैतियै
नै लहू बहतियै
तेॅ हमरोॅ तरहत्थी
लाल केना होतियै
दुल्हिन हाथोॅ के मेंहदी
देखी-देखी केॅ सोचै छै
काँपै छै।