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ईसुरी की फाग-22 / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: ईसुरी

तोरे नैना मतबारे
तिन घायल कर डारे
खंजन खरल सैल से पैने
बरछन से अनयारे
तरबारन सैं कमती नइयाँ
इनसें सबरई हारे
'ईसुर' चले जात गैलारे
टेर बुला कैं मारे।

भावार्थ
प्रिये, तुम्हारे नयन बहुत मतवाले हैं, जिन्होंने घायल कर दिया है। ये खंजन जैसे आकर्षक, विष के बुझे हुए, पर्वत शिखर की तरह नुकीले हैं और बरछी की तरह तीखे हैं।
ये नयन तलवारों से कम नहीं हैं जिनसे सब हार जाते हैं। ईसुरी कहते हैं कि ये नयन राह चलते को बुला कर मार देते हैं।