Last modified on 4 सितम्बर 2016, at 20:59

सदस्य:राजेश शर्मा

राजेश शर्मा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:59, 4 सितम्बर 2016 का अवतरण (जिस दिन रूप तुम्हारा देखा था निखार होते होते)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जिस दिन रूप तुम्हारा देखा था निखार होते होते और बच गए हम भी उस दिन निर्विकार होते होते