भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बारिश / आरती मिश्रा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:54, 13 सितम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरती मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बाढ़
फिर राहत... सहायता... पुनर्वास
थोड़ी देर बाद
वे आवाज़ें चीख़ों में बदल गईं
अब, एक ही शब्द चौतरफ़ गूँज रहा था
तबाही ऽ..ऽ
तबाही ऽ..ऽ
तबाही ऽ..ऽ
मेरे पास और सुनने का साहस न था
दोनों हाथ कान तक पहुँच चुके थे
मैंने टेलीविजन बन्द कर दिया