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कलम के पुजारी / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
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कलम के पुजारी माँगे मैया तेरे द्वार में।
षुभ सामाचार मिलै रोजेॅ अखबार में।
रीन से उरीन रहै, देष के सपनमां
सुख के फुहार मैया बरसे बिहार में।
खेत खलिहान गेहूँ-धान महकौवा
हरा-भरा गाँव-टोला रहे गुलजार में।
स्कूल पे स्कूल बने, महला दूमहला
किनारा लगीच लागैे, छेलै मँझधार में।
मोटे-मोटे छिमरी के दाल गदरौवा
साईकिल पे चिड़िया नाँकी बिटिया कतार में।