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निकललै बात / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'
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निकललै बात रानी-साहिबा केरोॅ पहेली सेॅ।
बड़ाॅे तूफान आबै केॅ खबर अैलै हवेली सेॅ।
अगरजानी खरहुबा सब मुहल्ला केॅ इ हल्ला सेॅ
मिंघारी खेल सब घुनसुन सुनाबै छै सहेली सेॅ।
नया बीहा केरोॅ खिस्सा, सुनी आगिन धधाबै छै
हवेली मेॅ नया आगिन, पसरलोॅ छै नवेली सेॅ।
कुँवर जगलै कि नय जगलै बगाबत जोर मारै छै
इ आफत केॅ नया नेॅतोॅ पठैलकै केॅ कसेली सेॅ।
बड़ोॅ घर के बड़ोॅ खिस्सा, उधर राजा के छै हिस्सा
इधर रानी केे सपना मेॅ भी सजै बेली-चमेली से।