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होतै वहा / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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होतै वहा जे होना होतै।
जे जे चाहबै ओना होतै।

धरती के उटकी-पैची केॅ
ढेला, गरदा सोना होतै।

अैलो गेलो के हाँथों मेॅ
जलखै भरलो दोना होतै।

खुषहाली घर के चैकठ तक
चक-चक कोना-कोना होतै।

अगहन मेॅ पोथी बतलाबै
राही जी के गौना होतै।