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छुट्नु अघिल्लो रात / रमेश क्षितिज

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हजार घुम्ती जिन्दगीका बाटो नागबेली
आज सँगै बास बसी छुट्टिनुछ भोलि

रात पनि छिटोछिटो बित्दैछ निठुरी
तिमीलाई हेर्न छोडी निदाउँ कसोरी
यो गरूँ कि ऊ गरूँ कि कुन कुरा गरूँ
धेरै कुरा बाँकी नै छ कुन पूरा गरूँ ?

कुरा गर्दै रात बितोस् झुल्कोस् बिहानी
सम्झुँला म सधैँ तिम्रो काखको सिरानी
यो दिउँ कि ऊ दिउँ कि कुन चिनो छोडूँ
यता आफ्नो मुटु छोडी भोलि कहाँ हिडूँ ?