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जन-गण-मन / द्विजेन्द्र 'द्विज'
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जन-गण-मन
रचनाकार | द्विजेन्द्र 'द्विज' |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 2003 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़ल संग्रह |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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- भूमिका / जन-गण-मन / द्विजेन्द्र 'द्विज' (ज़हीर क़ुरेशी के द्वारा लिखित)
- ख़ुद तो ग़मों के ही रहे हैं आस्माँ पहाड़ / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- अँधेरे चंद लोगों का अगर मक़सद नहीं होते / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- बंद कमरों के लिए ताज़ा हवा लिखते हैं हम / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- बराबर चल रहे हो और फिर भी घर नहीं आता / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- हर क़दम पर खौफ़ की सरदारियाँ रहने लगें / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- यह उजाला तो नहीं ‘तम’ को मिटाने वाला / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- परों को काट के क्या आसमान दीजिएगा / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- हमारी आँखों के ख़्वाबों से दूर ही रक्ख / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- इन्हीं हाथों ने बेशक विश्व का इतिहास लिक्खा है / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- तहज़ीब यह नई है, इसको सलाम कहिए / द्विजेन्द्र 'द्विज'