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दर्द जब बेजुबान होता है / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
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Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:43, 1 अक्टूबर 2016 का अवतरण (लक्ष्मीशंकर जी की ग़ज़ल)
दर्द जब बेजुबान होता है
कोई शोला जवान होता है।
आग बस्ती में सुलगती हो कहीं
खौफ में हर मकान होता है।
बाज आओ कि जोखिमों से भरा
सब्र का इम्तिहान होता है।
ज्वार-भाटे में कौन बचता है
हर लहर पर उफान होता है।
जुगनुओं की चमक से लोगों को
रोशनी का गुमान होता है।
वायदे उनके खूबसूरत हैं
दिल को कम इत्मिनान होता है।