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लोग पगडंडियाँ बनाएँगें / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

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रास्ते जब नज़र न आएँगे।
लोग पगडंडियाँ बनाएँगे।

खुश न हो कर्ज़ के उजालों से
ये अँधेरे भी साथ लाएँगे।

ख़ौफ़ सारे ग्रहों पे है कि वहाँ
आदमी बस्तियाँ बसाएँगे।

सुनते-सुनते गुज़र गई सदियाँ
मुल्क़ से अब अँधेरे जाएँगे।

जीत डालेंगे सारी दुनिया को
वे जो अपने को जीत पाएँगे।

दूध बेशक पिलाएँ साँपों को
उनसे लेकिन ज़हर ही पाएँगे।