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दोस्त / ममता किरण

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जब पदोन्नति पाने के लिए
या फिर
बॉस की निगाह में
ज्यादा वफ़ादार दिखने के लिए
दोस्ती का स्वांग भरता दोस्त
जिस पर आपने किया
अटूट विश्वास
कर देता है तुम्हारी चुगली
या फिर
कर देता है दगा
और आप रह जाते हैं
ठगे से
तब
बहुत याद आते हैं
बचपन के
वो निश्छल, मासूम, जान से ज्यादा प्यारे
और सच्चे दोस्त