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रात गए फोन / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
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Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:15, 2 अक्टूबर 2016 का अवतरण (कविता लक्ष्मीशंकर वाजपेयी जी की)
इतनी रात गए किसने किया होगा
फोन
जब तक गहरी नींद में पहुँचा बिस्तर छोड़
रिसीवर तक
कट गया फोन, छोड़ कर कई सवाल
कहीं अम्मा की तबियत तो नहीं
बिगड़ी अचानक
भाई साहब ने भी नया नया
खरीदा है स्कूटर
फिर झगड़ा तो नहीं हुआ भतीजे के
हॉस्टल में,
छोटी बहन की ससुराल वालों ने
किया कुछ नया बखेड़ा
कैसी कैसी अशुभ कल्पनाएँ आती हैं
बार बार
खीज कर कहती है पत्नी
रांग नंबर भी हो सकता है कोई
’ईश्वर करे ऐसा ही हो‘ सोचते हुए
करता हूँ सोने की कोशिश
लेकिन गूँज रहा है एक ही सवाल
कि इतनी रात गए किसने किया
होगा फोन !