भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम करोगे दुख / हेमन्त शेष

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:32, 30 अप्रैल 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त शेष |संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष }} तुम करोग...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम करोगे दुख

कि तुम उसे चूम न पाए

स्त्रियों का रूपवती होना

काल्पनिक चुम्बन की

पहली शर्त है

और फिर आपका दुखी होना

कि चूमना इतना आसान नहीं

चूमने और दुखी होने यानी दोनों के बीच में

एक ही चीज़ है--

रूपवती स्त्री

जो दोनों से बेख़बर है

अब भी

आपके पछतावे और

अपने शानदार सतीत्व में