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पत्र / मनमोहन
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एक रसोई है
कालिख में नहाई
मटमैली रसोई
थकी हुई बूढ़ी गाय
जैसी आँखों वाली एक औरत
दहलीज पर आकर खड़ी होती है
और पसीने से सरोबार चेहरे को
आँचल से पोंछती है
यहाँ मैं क़लम उठाता हूँ
और मेरी उम्र
हो जाती है नौ साल