भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मोर सारी परम पियारी गा / दानेश्वर शर्मा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:53, 3 नवम्बर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुधराम यादव |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {{KKCatChhattisga...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मोर सारी परम पियारी गा
र‍इपुरहिन अलग चिन्हारी गा
कातिक मा ज‍इसे सियारी गा
फ़ागुन मा ज‍इसे ओन्हारी गा
हाँसय त झर-झर फ़ुल झरय
रोवय त मोती लबारी गा

एक सरीं देह अब्बड दुब्बर
झेलनाही सोंहारी जस पातर
मछरी जस घात बिछ्लहिन हे
हंसा साही उज्जर पाँखर
चर चर ल‍इका के महतारी
फ़ेर दिखथय जनम कुँवारी गा

लेवना साँही चिक्कन दिखथे
कोयली साँही गुरतुर कहिथे
न जुड सहय न घाम सहय
एयर कन्डीसन म र‍इथे
सरदी म गोंदा फ़ुल झँकय
गरमी म भाजी अमारी गा

आँखी म क्लोरोफ़ार्म हवय
विन्टर मा घलो वार्म हवय
नुरी पिक्चर के हिरो‍इन
साँही जौंहर के चार्म हवय
अपने घर सेंट इतर चुपरय
महकय चार दुवारी गा