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शंख / मोनिका कुमार / ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

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मेरे माता पिता के कमरे में
आईने के सामने
गुलाबी रंग का शंख
रखा था।

पंजों के बल खड़े होकर
मैंने इसे चुराया
और फट से अपने कानों पर लगा लिया।

मैं इसे तब सुनना चाहता था
जब यह अपनी तड़प का
वही एकालाप ना कर रहा हो।

भले ही मैं छोटा था
पर मुझे पता था कि
आप चाहे किसी से बहुत प्यार करते हों,
कई बार ऐसा होता है कि
आप उसके बारे में
सब कुछ भूल जाते हैं।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मोनिका कुमार